12/23/2009

कैसे बनेंगे जूनियर हाईस्‍कूल

जूनियर हाइस्‍कूलों को बनने की दिशा में बेसिक शिक्षा विभाग में अभी भी अडंगा लगा हुआ है, जिसकी वजह से सात जूनियर हाईस्‍कूल जो इसी वर्ष पास हुए हैं वे बन नहीं पा रहे हैं ।

12/17/2009

मातहतों की लिखित परीक्षा लेंगे आयुक्त

फैजाबाद, 14 दिसम्बर : फैजाबाद मण्डल में तैनात पीसीएस, अधीनस्थ सेवाओं के अधिकारी और कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारी जिनमें एसडीएम, खण्ड विकास अधिकारी, पीडब्लूडी के अधिशाषी अभियंता, सहायक अभियंता, उद्यान विभाग के अधिकारी शामिल होते हैं, उन्हें एक बार फिर परीक्षा के दौर से गुजरना होगा।

परीक्षा की तैयारी के लिए उन्हें पाठ्यक्रम और मैटेरियल मुहैया कराया जाएगा और परीक्षा के प्रश्नपत्र पूर्व ग्राम्य विकास आयुक्त एवं संप्रति फैजाबाद के मण्डलायुक्त राजीव कुमार स्वयं तैयार करेंगे। जिले में कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारियों की कार्यशाला में मण्डलायुक्त ने अधिकारियों की परीक्षा लेने की इस नायाब नीति की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की योग्यता पर उन्हें विश्वास है लेकिन ग्राम्य विकास योजनाओं के बारे में उनकी कितनी समझ है और उन्हें कितना समझना बाकी है इसकी जानकारी के लिए यह परीक्षा ली जाएगी। पाठयक्रम के तौर पर अधिकारियों को शासन स्तर से जारी शासनादेशों, योजनाओं, कार्यकारी आदेशों के संकलन की 125 पेज वाली किताब भी दी जाएगी। मण्डलायुक्त ने कार्यशाला में आदेशों के इस संकलन की सौ प्रतियां भी अधिकारियों को मुहैया कराई। अधिकारियों के चेहरे का भाव पढ़ते हुए अंत में उन्होंने यह कहकर चुटकी भी ली कि पेपर लीक नहीं होंगे, क्योंकि इसका प्रश्नपत्र वे खुद तैयार और सेट करेंगे।

डेढ़ साल पहले ही समाप्त कर दिया था सम्बद्धीकरण

फैजाबाद, 8 दिसम्बर : सहायक अध्यापकों का सम्बद्धीकरण समाप्त करने की दिशा में डेढ़ वर्ष पूर्व संयुक्त शिक्षा निदेशक डा. प्रेमलता सिंह द्वारा दिया गया आदेश बीएसए आफिस की फाइलों में धूल खाता रहा और शिक्षकों के अटैचमेंट का खेल बीएसए और एबीएसए आफिस में निर्बाध चलता रहा। संयुक्त निदेशक ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को तत्काल शिक्षकों का अटैचमेंट समाप्त कर उन्हें मूल तैनाती स्थल पर भेजने और वित्त एवं लेखाधिकारी को अटैचमेंट वाले शिक्षकों के वेतन आहरण पर रोक लगाने का आदेश दिया था। लेकिन इस आदेश का क्रियान्वयन ही नहीं किया गया और हालात बदतर होते चले गये।

हाल ही में बीएसए मनोज मिश्र द्वारा अटैचमेंट समाप्त करने का सराहनीय प्रयास किया लेकिन सम्बद्ध शिक्षकों को अभी तक न हटाये जाने से विभागीय मंशा पर एक बार फिर सवाल उठने शुरू हो गये हैं।

संयुक्त शिक्षा निदेशक डा. प्रेमलता सिंह ने अपने पत्रांक संख्या 847-909/ दिनांक 30 अप्रैल 2008 के द्वारा उप शिक्षा निदेशक नवम मण्डल, सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक फैजाबाद मण्डल, फैजाबाद मण्डल के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों, शिक्षा अधीक्षक नगर पालिका फैजाबाद को शिक्षकों के सम्बद्धीकरण समाप्ति आदेश विषयक पत्र जारी किया। इस पत्र में शिक्षा निदेशक द्वारा शिक्षकों के सम्बद्धीकरण आदेश को गंभीर मानते हुए सम्बद्धीकरण तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया था। शिक्षा निदेशक के आदेशों के अनुपालन में सभी अधीनस्थ अधिकारियों को शिक्षकों को मूल तैनाती स्थल पर भेजने और कार्यभार ग्रहण न कर लेने तक वेतन पर रोक लगाने का आदेश भी दिया गया। बेसिक शिक्षा अधिकारी को सम्बद्धीकरण समाप्त करने की सूचना शिक्षा निदेशक कार्यालय को भेजने का निर्देश भी इस पत्र में दिया गया। तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इस आदेश को ही दबा दिया और चहेतों का अटैचमेंट जारी रहा। बीएसए और एबीएसए स्तर से लगभग पांच दर्जन अटैचमेंटों को छुपाया गया जिसकी वजह से शिक्षा निदेशक के आदेश की धज्जियां उड़ती रहीं। हाल ही में बेसिक शिक्षा अधिकारी मनोज मिश्र ने भी सम्बद्धीकरण समाप्त करने का आदेश जारी किया लेकिन आदेशों को दरकिनार करते हुए दर्जनों सहायक अध्यापक अभी अपने मूल तैनाती स्थल नहीं लौटे। सम्बद्ध सहायक अध्यापक एक बार फिर अपने अटैचमेंट को बरकरार रखने के लिए अधिकारियों व बीएसए आफिस की गणेश परिक्रमा कर रहे हैं और सम्बद्धीकरण बरकरार रखने की जुगत भिड़ा रहे हैं। सम्बद्धीकरण समाप्त करने के बावजूद भी सहायक अध्यापकों को मूल तैनाती स्थल पर न भेजना और उन्हीं से महत्वपूर्ण विभागीय कार्य लिये जाने से विभागीय मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं।

नींव खुदे बिना ही खर्च हो गई रकम

फैजाबाद, 10 दिसम्बर : बेसिक शिक्षा विभाग के खेल भी निराले हैं। अभी कुछ दिन पहले रुदौली में जहां एक मृतक आश्रित कोटे से नियुक्ति पाये प्रशिक्षणरत अध्यापक को चार-चार निर्माण कार्य सौंप दिये गये थे वहीं अब अमानीगंज में एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसमें एक मृतक आश्रित अध्यापक को पांच-पांच निर्माण कार्य सौंप दिये गये। सभी खातों से धनराशि आहरित भी हो गई लेकिन दो निर्माण कार्य अभी शुरू ही नहीं हुए। हाल है कि अभी उनकी नींव तक नहीं खोदी गई। बिना कार्य शुरू कराये ही कई चेकों के माध्यम से एबीएसए की संस्तुति से इस दौरान धनराशि भी निकाली जाती रही। बताते हैं कि विभागीय अभिलेखों में सम्बंधित निर्माण कार्य पूरे दर्शाए जा रहे हैं, जबकि मौके पर सच्चाई कुछ और ही है।

अमानीगंज शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय कोटिया प्रथम में विद्यालय के स्टोर रूम के निर्माण के लिए 59 हजार रुपये आये थे। इस निर्माण कार्य की जिम्मेदारी मृतक आश्रित कोटे के अध्यापक जीतबहादुर सिंह को सौंपी गई। इस निर्माण कार्य की पूरी धनराशि आहरित कर ली गई लेकिन अभी तक इस निर्माण कार्य की नींव तक नहीं खोदी गई। प्राथमिक विद्यालय कोटिया में ही वर्ष 2008 में अतिरिक्त कक्ष के लिए एक लाख 40 हजार रुपये स्वीकृत किये गये। मार्च 2009 तक सभी धनराशि चार चेकों के माध्यम से आहरित कर ली गई। मौके पर हालत है कि विद्यालय की दीवारें तो बनी हैं लेकिन छत आज तक नहीं पड़ी और दरवाजे और प्लास्टर होना तो दूर की बात है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोटिया के भवन निर्माण की जिम्मेदारी भी एबीएसए ने इसी अध्यापक को सौंपी थी। इस धनराशि का आहरण भी अध्यापक ने कर लिया लेकिन सम्बंधित कक्ष में आज तक न तो दरवाजे खिड़कियां लगीं और न ही प्लास्टर हुआ। पूर्व माध्यमिक विद्यालय के स्टोररूम के निर्माण के लिए भी 59 हजार रुपये भेजे गये जिसे छह चेकों के माध्यम से निकाल लिया गया लेकिन मौके पर इस निर्माण कार्य की भी नींव नहीं खोदी गई है।

पूर्व माध्यमिक विद्यालय पूरे गंगाशुक्ल के टीएलई मद में आये लगभग 50 हजार रुपये निकाल लिये गये लेकिन इस राशि से कोई खरीद ही नहीं की गई। प्राथमिक विद्यालय कोटिया में लकड़ी की चौकी खरीदने के लिए साढ़े नौ हजार आये थे। यह रकम भी खर्च हो गई लेकिन आज तक चौकी नहीं खरीदी गई। बेसिक शिक्षा विभाग के सूत्र बताते हैं इन निर्माण कार्यो व अन्य मदों का कागज में उपभोग तक दिखाया जा चुका है।

सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी अमानीगंज की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। एक निर्माण कार्य पूरा हुए बिना ही कई निर्माण कार्य एक ही अध्यापक को क्यों सौंप दिये गये, इसको लेकर उनकी भूमिका भी मामले में संदिग्ध मानी जा रही है।

नरेगा समेत कई योजनाओं में लाखों का गोलमाल

फैजाबाद, 12 दिसम्बर : रुदौली विकासखण्ड में नरेगा के तहत आये लाखों रुपये का गोलमाल कर दिया गया। काम के बदले अनाज योजना, बारहवां वित्त आयोग व राज्य वित्त आयोग के तहत आई लाखों की धनराशि के भुगतान को भी संदिग्ध ठहराया गया है। इन योजनाओं के तहत आये लाखों रुपये के व्यय को सही ठहराने के लिए ब्लाक पर कोई प्रमाण नहीं मिल सका है। यह खुलासा जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के ज्येष्ठ लेखा परीक्षक की रिपोर्ट में हुआ है। आडिट टीम ने अगस्त 2006 में चल रही काम के बदले अनाज योजना, बारहवां वित्त व राज्य वित्त आयोग में आई धनराशि के उपयोग पर भी गंभीर आपत्तियां जताई हैं।

विकासखण्ड स्तर पर की जा रही आडिट में कई गड़बडि़यां पाई गई हैं। ज्येष्ठ लेखा परीक्षक राजेन्द्र प्रसाद यादव की रिपोर्ट के मुताबिक नरेगा योजना के तहत विभिन्न कार्यो पर दिखाये गये व्यय का कोई भी प्रमाणक पेश नहीं किया गया। अगस्त 2006 से सितम्बर 2006 तक काम के बदले अनाज योजना के तहत किया गया 14 लाख 69 हजार रुपये का भुगतान भी संदिग्ध माना गया है। इस व्यय को सही साबित करने के लिए व्यय प्रमाणक, एमवी प्रमाणपत्र, खाद्यान्न योजना के कूपन, रजिस्टर कूपन भी ब्लाक के कर्मचारी नहीं दिखा सके। आडिट टीम ने इस पर गंभीर आपत्ति दर्ज की। बारहवां वित्त आयोग के नौ लाख रुपये व राज्य वित्त आयोग के तहत खर्च किये गये 29 लाख रुपये का हिसाब भी ब्लाक पर नहीं मिल सका। यह धनराशि कहां व्यय की गई इसका ब्यौरा देने में ब्लाक के कर्मचारी आनाकानी करते रहे और अंत तक ब्यौरा उपलब्ध नहीं करा सके। आडिट टीम ने ग्रांट रजिस्टर में धनराशि खारिज करने के बाद कैश रजिस्टर में इंट्री न करने, व्ययों का साक्ष्य न रखने और भुगतान की संदिग्धता की बाबत सवाल खड़े किये हैं। गौरतलब हो कि रुदौली विकासखण्ड के इससे पूर्व 2005 तक के आय-व्यय के आडिट के दौरान आडिट टीम ने 17 गंभीर आपत्तियां दर्ज की थीं जिनमें से एक का भी निस्तारण आज तक नहीं हो सका है।

प्राथमिक शिक्षकों की सम्बद्घता रद

फैजाबाद, 5 दिसम्बर : बेसिक शिक्षा विभाग के जिला स्तरीय व ब्लाक स्तरीय कार्यालयों पर सहायक अध्यापकों का अटैचमेंट समाप्त करने को लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी मनोज मिश्र ने लिखित आदेश जारी कर दिया है। सम्बद्ध अध्यापकों के अटैचमेंट सम्बंधी आदेश की प्रति मांगते हुए उन्होंने सभी सम्बद्धीकरण समाप्त करने के आदेश जारी कर दिये हैं। यह पड़ताल भी शुरू हो गई है कि किसके आदेश पर पांच दर्जन से अधिक अध्यापकों का सम्बद्धीकरण हो गया और शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आने की बजाय लड़खड़ा गई।

जागरण ने कल ही अध्यापकों के अटैचमेंट को लेकर स्कूल नहीं बीएसए आफिस संभाल रहे गुरूजी शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी जिसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग में अटैचमेंट कराये सहायक अध्यापकों को विद्यालय में वापस करने की चर्चाएं छिड़ी हुई हैं। अटैचमेंट के इस खेल की सबसे बड़ी बात थी कि इनमें से कई शिक्षक ऐसे अटैच हैं, जिन्हें अटैच करने का कोई आर्डर ही नहीं जारी हुआ और न ही कोई पत्रावली बनी। पद और रसूख की चाहत में ट्रांसफर की बजाय कार्यालय पर अटैचमेंट कराना सहायक अध्यापकों के लिए हमेशा से ही प्रतिष्ठापरक रहा। सूत्र बताते हैं कि जिले के सभी 11 एबीएसए कार्यालयों में से प्रत्येक पर आधा दर्जन से अधिक सहायक अध्यापक अटैच किये गये हैं और उनसे पठन पाठन की बजाय विभागीय कार्य आदि लिये जाते हैं। वह भी तब जब अध्यापकों की कमी है और 40 बच्चों पर एक अध्यापक का मानक पूरा नहीं हो पा रहा है। जिले में कई विद्यालय एकल अध्यापक के भरोसे ही चल रहे हैं जहां की व्यवस्था सुदृढ़ करने की बजाय अधिकारियों ने उन विद्यालयों की व्यवस्था बिगाड़ दी जहां पर अध्यापकों की तैनाती की गई थी। ऐसे में लगभग पांच दर्जन स्कूलों में दो से अधिक अध्यापक होते हुए भी वह एकल की श्रेणी में ही खड़े हैं और एक ही अध्यापक के भरोसे चल रहे हैं। मसौधा, रुदौली, तारुन, हरिंग्टनगंज, पूराबाजार, मयाबाजार, मिल्कीपुर, मवई, सोहावल में भी ऐसे ही अध्यापकों की एक पूरी फेहरिस्त है जो स्कूल जाने की बजाय एबीएसए आफिस के चक्कर काटते हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी मनोज मिश्र द्वारा सम्बद्धीकरण समाप्त करने के आदेश के बाद इन सम्बद्ध अध्यापकों में भी खासी बेचैनी है।

सम्बद्ध अध्यापकों ने एक बार फिर विभागीय अमले से जुगाड़ लगाकर अपना सम्बद्धीकरण बरकरार रखने की हरसम्भव जुगत लगानी शुरू कर दी है। हालांकि मसौधा के एबीएसए ने सम्बद्ध अध्यापकों को उनके तैनाती वाले विद्यालयों में ही कार्य करने को निर्देशित करने के साथ ही इसकी सूचना बीएसए को दे दी है। अन्य विकासखण्डों में भी सम्बद्धीकरण वाले अध्यापकों को उनके मूल तैनाती स्थल भेजने की कार्रवाई की जा रही है।

नहीं मिल सका प्रोन्नति का तोहफा

फैजाबाद, 7 दिसम्बर : प्रोन्नति की आस संजोये सामान्य व पिछड़ी जाति के सैकड़ों विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों को प्रोन्नति का तोहफा नहीं मिल सका। विभागीय नियमों और प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों की कमी के बावजूद भी बेसिक शिक्षा विभाग अध्यापकों को प्रोन्नत करने के मुद्दे पर चुप्पी साधे है। वहीं विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों में विभागीय अनदेखी की वजह से मायूसी छाई है।

विशिष्ट बीटीसी 2004 के अन्तर्गत प्राथमिक विद्यालयों में सैकड़ों शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। अनुसूचित जाति के सहायक अध्यापकों को बेसिक शिक्षा विभाग ने डेढ़ साल की सेवा पूरा करने पर ही प्रधानाध्यापक व जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात कर दिया। सामान्य व पिछड़ी जाति के सहायक अध्यापकों को प्रोन्नत करने के मुद्दे पर विभाग ने चुप्पी साधे रखी। गोण्डा, सुल्तानपुर समेत कई जिलों में सामान्य जाति के विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों का प्रमोशन साल भर पहले ही किया जा चुका है। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर संघ के जिलाध्यक्ष केपी सिंह बताते हैं कि प्रोन्नति के मुद्दे पर साल भर पूर्व तत्कालीन बीएसए विष्णुप्रताप सिंह से पदाधिकारियों ने वार्ता की थी जिस पर उन्होंने महीने भर में ही प्रोन्नति आदेश जारी करने की बात कही थी। प्रोन्नति करने से पूर्व ही उनका स्थानान्तरण हो गया। राकेश कुमार से भी संघ पदाधिकारियों ने वार्ता की थी लेकिन कई चक्रों में वार्ता होने के बाद भी उन्होंने प्रोन्नति करने के सम्बंध में कोई कार्रवाई नहीं की। नये बेसिक शिक्षा अधिकारी मनोज मिश्र से एक बार फिर विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों ने प्रोन्नति की उम्मीदें बांधी हैं।

मण्डलीय मंत्री द्वारिका बताते हैं कि प्रोन्नति कार्रवाई जल्द ही शुरू नहीं की गई तो नई भर्ती वाले अनुसूचित जाति के शिक्षकों की प्रोन्नति का समय आ जाएगा, जिससे विशिष्ट बीटीसी 2004 के तहत तैनाती पाये सामान्य व पिछड़ी जाति के सहायक अध्यापकों का नुकसान होगा। जिलाध्यक्ष केपी सिंह ने बताया कि सहायक अध्यापकों की प्रोन्नति को लेकर जल्द ही संघ के पदाधिकारी बीएसए से वार्ता करेंगे और उन्हें मांगपत्र सौंपेंगे। श्री सिंह के मुताबिक पखवारे भर में प्रोन्नति कार्रवाई शुरू न करने पर बीएसए कार्यालय का घेराव करते हुए धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

कूटरचना के सहारे कर दी गई तीन शिक्षकों की नियुक्ति

फैजाबाद, 7 दिसम्बर : कूट रचना और अभिलेखों में तब्दीली के साथ ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से पूर्व माध्यमिक विद्यालय में तीन अध्यापकों की फर्जी नियुक्तियां कर ली गई। विद्यालय के कार्यवाहक प्रबंधक द्वारा न्यायालय की शरण लेने पर न्यायालय के आदेश पर महाराजगंज थाने में धोखाधड़ी और कूट रचना की धाराओं में मामला पंजीकृत कराया गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्रकरण संज्ञान में आने के बाद सम्बंधित पत्रावलियां और डिस्पैच रजिस्टर सीज करवा दिये हैं और मामले की जांच डिप्टी बीएसए देवशंकर त्रिपाठी को सौंप दी है।

मामला थाना महराजगंज स्थित बाबा दूधनाथ लघु माध्यमिक विद्यालय नेवकबीरपुर का है जहां पूर्व प्रबंधक और उनके रिश्तेदारों ने अपने चहेतों को लाभ दिलाने के उद्देश्य से रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया गुपचुप तरीके से शुरू कराई। इसे बीच में निरस्त भी घोषित कर दिया गया। इसके बावजूद भी कई आवेदकों ने इन पदों के लिए अपने शैक्षिक योग्यता सम्बंधी प्रमाणपत्र आदि जमा किये और साक्षात्कार तिथि घोषित होने का इंतजार करने लगे। साक्षात्कार तिथि की न तो अभ्यर्थियों को सूचना दी गई और न ही विद्यालय में साक्षात्कार हुआ, लेकिन फर्जी तरीके से साक्षात्कार सम्पन्न दिखा दिया।

रुदौली के एबीएसए को साक्षात्कार बोर्ड में उपस्थित दिखाते हुए तीन अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में सफल दिखाकर उनकी नियुक्ति कर दी गई। इसे वैधता देने की भी माफियाओं ने कोशिश की। बेसिक शिक्षा विभाग के अभिलेखों में बैकडेटिंग करते हुए विभाग के ही एक लिपिक ने डिस्पैच रजिस्टर से छेड़छाड़ करते हुए एक साथ जारी तीन पत्रों के स्थान पर सम्बंधित नियुक्ति की सूचना सम्बंधी एक पत्र प्रबंधक को भेजा जाना दर्शा दिया। गौरतलब हो कि उसके पास डिस्पैच काउन्टर भी नहीं था लेकिन उसके बावजूद भी उसने सम्बंधित रजिस्टर में छेड़छाड़ की। डिस्पैच रजिस्टर में जगह न होने की वजह से वह पूर्व की तारीखों में लेखा कार्यालय में डिस्पैच नहीं दिखा सका। विभागीय सूत्रों के मुताबिक नियुक्ति होने पर कम से कम तीन पत्र जारी किये जाते हैं जो प्रबंधक, बेसिक शिक्षा अधिकारी, वित्त एवं लेखाधिकारी को भेजे जाते हैं जिसके आधार पर ही वेतन भुगतान होता है।

गुपचुप दिखाये साक्षात्कार के बारे में पता तब चला जब सम्बंधित तीनों अभ्यर्थियों ने विद्यालय में अपना योगदान देना शुरू किया। ये तीनों ही पूर्व प्रबंधक के रिश्तेदार और सगे सम्बंधी थे। विद्यालय के कार्यवाहक प्रबंधक सीताराम सिंह व अध्यापकों ने लिखित में शपथपत्र दिया कि उनके विद्यालय में सम्बंधित तारीखों में कोई साक्षात्कार ही नहीं हुआ और न ही एबीएसए अर्जुन वर्मा उनके विद्यालय ही आये। कार्यवाहक प्रबंधक ने आज मामले की जानकारी बेसिक शिक्षा अधिकारी को दी और उन्हें न्यायालय के आदेश की प्रतियां, प्राथमिकी की प्रति, पूर्व प्रबंधक द्वारा गठित फर्जी कार्य समिति की छायाप्रतियां भी दिखाई।

सीताराम सिंह ने विभाग के ही एक लिपिक शैलेन्द्र चौधरी, एबीएसए अर्जुन वर्मा, बीएसए राकेश कुमार की भूमिका पर भी सवाल उठाये हैं और नियुक्ति की धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया है। उनके मुताबिक स्थानान्तरण होने के बाद बीएसए राकेश कुमार के स्तर से बैकडेटिंग कराई गई। बेसिक शिक्षा अधिकारी मनोज मिश्र से इस सम्बंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रकरण संज्ञान में आते ही उन्होंने डिस्पैच रजिस्टर समेत अन्य सम्बंधित अभिलेख सीज करवा दिये हैं। प्रथम दृष्टया ही मामला जालसाली का लग रहा है। उन्होंने मामले की जांच डिप्टी बीएसए देवशंकर त्रिपाठी को सौंपी है।

एमडीएम के अधिकारों से वंचित हो गये दो दर्जन प्रधान

फैजाबाद, 2 दिसम्बर : मिड डे मील (एमडीएम) बनवाने में लापरवाही प्रधानों को भारी पड़ी। बच्चों को स्कूल तक खींच लाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत चलाई जा रही एमडीएम योजना के वित्तीय संचालन का अधिकार दो दर्जन से अधिक प्रधानों से छीन लिया गया है। नई व्यवस्था के तहत अब सम्बंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक व ग्राम सचिव के संयुक्त हस्ताक्षरों से ही एमडीएम की धनराशि आहरित की जा सकेगी। जिलाधिकारी एमपी अग्रवाल ने इस व्यवस्था को हरी झण्डी दे दी है। जिले की कई ग्राम पंचायतों के प्रधानों द्वारा मध्याह्न भोजन योजना को लेकर लापरवाही और धांधली बरती जा रही थी। स्कूलों में खाना बनवाया ही नहीं जाता था, जिसकी वजह से बच्चों में स्कूल आने की प्रवृत्ति घट रही थी। बेसिक शिक्षा विभाग ने जब मामले की जांच कराई तो पता चला कि कई स्कूलों में महीनों से खाना ही नहीं बन रहा है। जिलाधिकारी एमपी अग्रवाल के निर्देशों पर एक ही दिन में सभी स्कूलों के मिड डे मील अभियान की परख करने के लिए अधिकारियों की टीमें लगाई गई तो पता चला कि 90 के करीब ग्राम पंचायतों में मिड डे मील का संचालन सीधे तौर पर प्रभावित है। इनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए तत्कालीन जिला पंचायत राज अधिकारी आरएस चौधरी को बीएसए स्तर से पत्र भी लिखा गया लेकिन नोटिस देने तक ही मामला सिमट गया।

डीपीआरओ ने जिलाधिकारी के निर्देश पर 51 ग्राम पंचायतों को नोटिस दी और कुल 16 ग्राम पंचायतों के खातों पर रोक लगा दी। लेकिन व्यवस्था तिस पर भी सुधर न सकी। बेसिक शिक्षा विभाग ने अपने स्तर से भी कुछ ऐसे विद्यालयों का चिह्नीकरण किया जहां महीनों से खाना नहीं बन रहा था। बेसिक शिक्षा अधिकारी मनोज मिश्र ने बताया कि एमडीएम के सुचारु संचालन के लिहाज से मामला एक बार फिर जिलाधिकारी के समक्ष रखा गया जिसमें उन्होंने एमडीएम खाते के वित्तीय संचालन अधिकार से प्रधानों की भूमिका समाप्त करने की संस्तुति दे दी।

स्कूल नहीं, बीएसए आफिस संभाल रहे गुरुजी

फैजाबाद, 4 दिसम्बर : सर्व शिक्षा अभियान में करोड़ों खर्च होने के बावजूद प्राथमिक शिक्षा का स्तर आखिर सुधरे भी तो कैसे? शिक्षा के मंदिर में बच्चों को अपने ज्ञान, अनुभव और योग्यता से प्रभावित करने के बजाय अब मास्टर साहब ही ब्लाक व जिला स्तरीय अधिकारियों की जी-हुजूरी करने लगे हैं।

जिले में दर्जनों ऐसे अध्यापक हैं जिनकी तैनाती तो विद्यालयों में है लेकिन वे स्कूल का मुंह तक देखने नहीं जाते और साहब के दफ्तर में 'सेटिंग' करके खुद को खास मानकर रौब गांठते हैं। दूर दराज के स्कूलों में तैनाती पाये ये सहायक अध्यापक स्कूल में पढ़ाने के बजाय अधिकारियों को शीशे में उतारने का काम करते हैं। ऐसे अध्यापकों पर अधिकारी भी कार्रवाई नहीं करते हैं क्योंकि साहब की सब्जी लाने से लेकर उनके बच्चों को स्कूल से लाने तक का काम इन्हीं अध्यापकों के जिम्मेदार कंधों पर होता है। विभागीय अधिकारियों की कृपादृष्टि पाये ये सहायक अध्यापक वर्षो से स्कूल में पढ़ाने ही नहीं गये और क्लर्क कम अधिकारी की तरह अपने ही साथी अध्यापकों से पेश आते रहे। इन अध्यापकों पर कभी कार्रवाई भी नहीं हुई। वजह साफ है, बेसिक शिक्षा विभाग के पास यह आंकड़े ही नहीं हैं कि कितने अध्यापकों का अटैचमेंट किया गया है। इसकी कोई फाइल भी नहीं है। शिक्षा विभाग के सूत्र बताते हैं कि इनमें से कई अध्यापकों का अटैचमेंट मौखिक तौर पर किया गया है, जिसकी वजह से काम तो ये विभाग में करते हैं लेकिन वेतन सम्बंधित विद्यालय से आहरित होता है। पूर्व बीएसए राकेश कुमार के संज्ञान में प्रकरण होने के बावजूद उन्होंने इस मामले में किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की। बताते हैं कि सम्बंधों की बिना पर ये अध्यापक जांच और कार्रवाई दोनों से ही बच जाते हैं। अध्यापकों के ट्रांसफर, प्रोन्नति और समायोजन के समय ये सहायक अध्यापक मुख्य भूमिका में आ जाते हैं और काम कराने के नाम पर लाखों का वारा न्यारा कर जाते हैं।

गुरुघंटालों पर नवागत बीएसए की वक्रदृष्टि

फैजाबाद, 30 नवम्बर : प्राइमरी के दो दर्जन के करीब सहायक अध्यापकों द्वारा बिना स्कूल आये और एक ही दिन में हाजिरी भरकर वेतन का भुगतान ले लेने की जुगत अब ज्यादा दिन नहीं चल सकेगी। जुगाड़ के बल पर स्कूल न आने वाले ऐसे गुरुघंटालों का चिन्हीकरण करने के साथ ही उनके विरुद्ध निलम्बन की कारवाई करने की तैयारी नये बेसिक शिक्षा अधिकारी ने शुरू कर दी है।

बीएसए मनोज मिश्र ने जागरण से मुलाकात में प्राइमरी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिहाज से अपनी प्राथमिकताएं गिनाई। उन्होंने कहा कि अध्यापकों की अनुपस्थिति की वजह से विद्यालयों का पठन-पाठन कार्य बाधित होता है, इसलिए अध्यापकों की उपस्थिति उनकी पहली प्राथमिकता है। अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों का चिह्नांकन करने के साथ ही उन्हें निलम्बित करने की कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि प्राइमरी स्कूलों में तैनात दो दर्जन से अधिक सहायक अध्यापक विद्यालयों में पढ़ाने की तो दूर विद्यालय की तरफ कभी रुख भी नहीं करते। ये अध्यापक बीएसए आफिस और ब्लाकों पर एबीएसए आफिस के बाबुओं व अधिकारियों की मिलीभगत से महज हाजिरी लगाने ही स्कूल पहुंचते हैं। श्री मिश्र ने बताया कि भवन निर्माण, मरम्मत आदि का कार्य कई विद्यालयों में अभी तक पूरा नहीं हो सका है, जिसे युद्ध स्तर पर पूर्ण कराया जाएगा। मध्याह्न भोजन योजना पर भी विशेष ध्यान देने की बात उन्होंने कही। विद्यालयों का विद्युतीकरण कार्य भी जल्द ही पूरा कराने की प्रतिबद्धता उन्होंने जताई।

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