कचहरियों के बाहर खड़े
बूढ़े किसान की आंखों में मोतियाबिंद उतर आयेगा
शाम तक हो जायेगी सफेद
रोजगार दफ्तर के आंगन में थक रही ताजी उगी दाढ़ी
बहुत जल्द भूल जायेगा पुराने ढाबे का नया नौकर
अपनी मां के हमेशा ही धुत्त मैले रहनेवाले
पोने की मीठी महक
ढूंढ़ता रहेगा किनारे सड़क के वह निराश ज्योतिषी
अपने ही हाथ से मिटी हुई भाग्य रेखा
कार तले कुचले गये और पेंशन लेने आये
पुराने फौजी की टूटी हुई साइकिल
तीसरा महायुद्ध लड़ने की सोचेगी
तीसरा महायुद्ध
जो नहीं लड़ा जायेगा अब
जर्मनी और भा़डे के टट्टुओं के बीच
तीसरा महायुद्ध सीनों में खुर रही
जीने की बादशाहत लड़ेगी
तीसरा महायुद्ध गोबर से लिपी
छतों की सादगी लड़ेगी
तीसरा महायुद्ध कमीज से धुल न सकने वाले
बरोजे की छींटे लड़ेंगीं
तीसरा महायुद्ध
पेशाब से भरी रूई में लिपटी कटी हुई उंगली लड़ेगी
जुल्म के चेहरे पर चमकती
बनी-संवरी नजाकत के खिलाफ
धरती को कैद करना चाहते चाबी के छल्ले के खिलाफ
तीसरा महायुद्ध
कभी न खुलनेवाली मुट्ठी के खिलाफ लड़ा जायेगा
कोमल शामों के बदन पर रेंगने वाले
सेह के कांटों के खिलाफ लड़ा जायेगा
तीसरा महायुद्ध उस दहशत के खिलाफ लड़ा जायेगा
जिसका अक्स दंदियां निकालती
मेरी बेटी की आंखों में है,
तीसरा महायुद्ध
किसी फटी-सी जेब में मसल दिये गये
एक छोटे से संसार के लिए लड़ा जायेगा.
पाश