10/21/2009

तीसरा महायुद्ध

कचहरियों के बाहर खड़े
बूढ़े किसान की आंखों में मोतियाबिंद उतर आयेगा
शाम तक हो जायेगी सफेद
रोजगार दफ्तर के आंगन में थक रही ताजी उगी दाढ़ी
बहुत जल्द भूल जायेगा पुराने ढाबे का नया नौकर
अपनी मां के हमेशा ही धुत्त मैले रहनेवाले
पोने की मीठी महक
ढूंढ़ता रहेगा किनारे सड़क के वह निराश ज्योतिषी
अपने ही हाथ से मिटी हुई भाग्य रेखा
कार तले कुचले गये और पेंशन लेने आये
पुराने फौजी की टूटी हुई साइकिल
तीसरा महायुद्ध लड़ने की सोचेगी
तीसरा महायुद्ध
जो नहीं लड़ा जायेगा अब
जर्मनी और भा़डे के टट्टुओं के बीच
तीसरा महायुद्ध सीनों में खुर रही
जीने की बादशाहत लड़ेगी
तीसरा महायुद्ध गोबर से लिपी
छतों की सादगी लड़ेगी
तीसरा महायुद्ध कमीज से धुल न सकने वाले
बरोजे की छींटे लड़ेंगीं
तीसरा महायुद्ध
पेशाब से भरी रूई में लिपटी कटी हुई उंगली लड़ेगी
जुल्म के चेहरे पर चमकती
बनी-संवरी नजाकत के खिलाफ
धरती को कैद करना चाहते चाबी के छल्ले के खिलाफ
तीसरा महायुद्ध
कभी न खुलनेवाली मुट्ठी के खिलाफ लड़ा जायेगा
कोमल शामों के बदन पर रेंगने वाले
सेह के कांटों के खिलाफ लड़ा जायेगा
तीसरा महायुद्ध उस दहशत के खिलाफ लड़ा जायेगा
जिसका अक्स दंदियां निकालती
मेरी बेटी की आंखों में है,
तीसरा महायुद्ध
किसी फटी-सी जेब में मसल दिये गये
एक छोटे से संसार के लिए लड़ा जायेगा.
पाश

ब्लॉग आर्काइव

कुछ मेरे बारे में

I AM SUNEEL PATHAK
FROM AYODHYA FAIZABAD
I AM REPORTER IN DAINIK JAGRAN
AYODHYA EDITION SINCE 2005.