12/17/2009

स्कूल नहीं, बीएसए आफिस संभाल रहे गुरुजी

फैजाबाद, 4 दिसम्बर : सर्व शिक्षा अभियान में करोड़ों खर्च होने के बावजूद प्राथमिक शिक्षा का स्तर आखिर सुधरे भी तो कैसे? शिक्षा के मंदिर में बच्चों को अपने ज्ञान, अनुभव और योग्यता से प्रभावित करने के बजाय अब मास्टर साहब ही ब्लाक व जिला स्तरीय अधिकारियों की जी-हुजूरी करने लगे हैं।

जिले में दर्जनों ऐसे अध्यापक हैं जिनकी तैनाती तो विद्यालयों में है लेकिन वे स्कूल का मुंह तक देखने नहीं जाते और साहब के दफ्तर में 'सेटिंग' करके खुद को खास मानकर रौब गांठते हैं। दूर दराज के स्कूलों में तैनाती पाये ये सहायक अध्यापक स्कूल में पढ़ाने के बजाय अधिकारियों को शीशे में उतारने का काम करते हैं। ऐसे अध्यापकों पर अधिकारी भी कार्रवाई नहीं करते हैं क्योंकि साहब की सब्जी लाने से लेकर उनके बच्चों को स्कूल से लाने तक का काम इन्हीं अध्यापकों के जिम्मेदार कंधों पर होता है। विभागीय अधिकारियों की कृपादृष्टि पाये ये सहायक अध्यापक वर्षो से स्कूल में पढ़ाने ही नहीं गये और क्लर्क कम अधिकारी की तरह अपने ही साथी अध्यापकों से पेश आते रहे। इन अध्यापकों पर कभी कार्रवाई भी नहीं हुई। वजह साफ है, बेसिक शिक्षा विभाग के पास यह आंकड़े ही नहीं हैं कि कितने अध्यापकों का अटैचमेंट किया गया है। इसकी कोई फाइल भी नहीं है। शिक्षा विभाग के सूत्र बताते हैं कि इनमें से कई अध्यापकों का अटैचमेंट मौखिक तौर पर किया गया है, जिसकी वजह से काम तो ये विभाग में करते हैं लेकिन वेतन सम्बंधित विद्यालय से आहरित होता है। पूर्व बीएसए राकेश कुमार के संज्ञान में प्रकरण होने के बावजूद उन्होंने इस मामले में किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की। बताते हैं कि सम्बंधों की बिना पर ये अध्यापक जांच और कार्रवाई दोनों से ही बच जाते हैं। अध्यापकों के ट्रांसफर, प्रोन्नति और समायोजन के समय ये सहायक अध्यापक मुख्य भूमिका में आ जाते हैं और काम कराने के नाम पर लाखों का वारा न्यारा कर जाते हैं।

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I AM REPORTER IN DAINIK JAGRAN
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