फैजाबाद, 2 दिसम्बर : मिड डे मील (एमडीएम) बनवाने में लापरवाही प्रधानों को भारी पड़ी। बच्चों को स्कूल तक खींच लाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत चलाई जा रही एमडीएम योजना के वित्तीय संचालन का अधिकार दो दर्जन से अधिक प्रधानों से छीन लिया गया है। नई व्यवस्था के तहत अब सम्बंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक व ग्राम सचिव के संयुक्त हस्ताक्षरों से ही एमडीएम की धनराशि आहरित की जा सकेगी। जिलाधिकारी एमपी अग्रवाल ने इस व्यवस्था को हरी झण्डी दे दी है। जिले की कई ग्राम पंचायतों के प्रधानों द्वारा मध्याह्न भोजन योजना को लेकर लापरवाही और धांधली बरती जा रही थी। स्कूलों में खाना बनवाया ही नहीं जाता था, जिसकी वजह से बच्चों में स्कूल आने की प्रवृत्ति घट रही थी। बेसिक शिक्षा विभाग ने जब मामले की जांच कराई तो पता चला कि कई स्कूलों में महीनों से खाना ही नहीं बन रहा है। जिलाधिकारी एमपी अग्रवाल के निर्देशों पर एक ही दिन में सभी स्कूलों के मिड डे मील अभियान की परख करने के लिए अधिकारियों की टीमें लगाई गई तो पता चला कि 90 के करीब ग्राम पंचायतों में मिड डे मील का संचालन सीधे तौर पर प्रभावित है। इनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए तत्कालीन जिला पंचायत राज अधिकारी आरएस चौधरी को बीएसए स्तर से पत्र भी लिखा गया लेकिन नोटिस देने तक ही मामला सिमट गया।
डीपीआरओ ने जिलाधिकारी के निर्देश पर 51 ग्राम पंचायतों को नोटिस दी और कुल 16 ग्राम पंचायतों के खातों पर रोक लगा दी। लेकिन व्यवस्था तिस पर भी सुधर न सकी। बेसिक शिक्षा विभाग ने अपने स्तर से भी कुछ ऐसे विद्यालयों का चिह्नीकरण किया जहां महीनों से खाना नहीं बन रहा था। बेसिक शिक्षा अधिकारी मनोज मिश्र ने बताया कि एमडीएम के सुचारु संचालन के लिहाज से मामला एक बार फिर जिलाधिकारी के समक्ष रखा गया जिसमें उन्होंने एमडीएम खाते के वित्तीय संचालन अधिकार से प्रधानों की भूमिका समाप्त करने की संस्तुति दे दी।