12/17/2009

कूटरचना के सहारे कर दी गई तीन शिक्षकों की नियुक्ति

फैजाबाद, 7 दिसम्बर : कूट रचना और अभिलेखों में तब्दीली के साथ ही शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से पूर्व माध्यमिक विद्यालय में तीन अध्यापकों की फर्जी नियुक्तियां कर ली गई। विद्यालय के कार्यवाहक प्रबंधक द्वारा न्यायालय की शरण लेने पर न्यायालय के आदेश पर महाराजगंज थाने में धोखाधड़ी और कूट रचना की धाराओं में मामला पंजीकृत कराया गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने प्रकरण संज्ञान में आने के बाद सम्बंधित पत्रावलियां और डिस्पैच रजिस्टर सीज करवा दिये हैं और मामले की जांच डिप्टी बीएसए देवशंकर त्रिपाठी को सौंप दी है।

मामला थाना महराजगंज स्थित बाबा दूधनाथ लघु माध्यमिक विद्यालय नेवकबीरपुर का है जहां पूर्व प्रबंधक और उनके रिश्तेदारों ने अपने चहेतों को लाभ दिलाने के उद्देश्य से रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया गुपचुप तरीके से शुरू कराई। इसे बीच में निरस्त भी घोषित कर दिया गया। इसके बावजूद भी कई आवेदकों ने इन पदों के लिए अपने शैक्षिक योग्यता सम्बंधी प्रमाणपत्र आदि जमा किये और साक्षात्कार तिथि घोषित होने का इंतजार करने लगे। साक्षात्कार तिथि की न तो अभ्यर्थियों को सूचना दी गई और न ही विद्यालय में साक्षात्कार हुआ, लेकिन फर्जी तरीके से साक्षात्कार सम्पन्न दिखा दिया।

रुदौली के एबीएसए को साक्षात्कार बोर्ड में उपस्थित दिखाते हुए तीन अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में सफल दिखाकर उनकी नियुक्ति कर दी गई। इसे वैधता देने की भी माफियाओं ने कोशिश की। बेसिक शिक्षा विभाग के अभिलेखों में बैकडेटिंग करते हुए विभाग के ही एक लिपिक ने डिस्पैच रजिस्टर से छेड़छाड़ करते हुए एक साथ जारी तीन पत्रों के स्थान पर सम्बंधित नियुक्ति की सूचना सम्बंधी एक पत्र प्रबंधक को भेजा जाना दर्शा दिया। गौरतलब हो कि उसके पास डिस्पैच काउन्टर भी नहीं था लेकिन उसके बावजूद भी उसने सम्बंधित रजिस्टर में छेड़छाड़ की। डिस्पैच रजिस्टर में जगह न होने की वजह से वह पूर्व की तारीखों में लेखा कार्यालय में डिस्पैच नहीं दिखा सका। विभागीय सूत्रों के मुताबिक नियुक्ति होने पर कम से कम तीन पत्र जारी किये जाते हैं जो प्रबंधक, बेसिक शिक्षा अधिकारी, वित्त एवं लेखाधिकारी को भेजे जाते हैं जिसके आधार पर ही वेतन भुगतान होता है।

गुपचुप दिखाये साक्षात्कार के बारे में पता तब चला जब सम्बंधित तीनों अभ्यर्थियों ने विद्यालय में अपना योगदान देना शुरू किया। ये तीनों ही पूर्व प्रबंधक के रिश्तेदार और सगे सम्बंधी थे। विद्यालय के कार्यवाहक प्रबंधक सीताराम सिंह व अध्यापकों ने लिखित में शपथपत्र दिया कि उनके विद्यालय में सम्बंधित तारीखों में कोई साक्षात्कार ही नहीं हुआ और न ही एबीएसए अर्जुन वर्मा उनके विद्यालय ही आये। कार्यवाहक प्रबंधक ने आज मामले की जानकारी बेसिक शिक्षा अधिकारी को दी और उन्हें न्यायालय के आदेश की प्रतियां, प्राथमिकी की प्रति, पूर्व प्रबंधक द्वारा गठित फर्जी कार्य समिति की छायाप्रतियां भी दिखाई।

सीताराम सिंह ने विभाग के ही एक लिपिक शैलेन्द्र चौधरी, एबीएसए अर्जुन वर्मा, बीएसए राकेश कुमार की भूमिका पर भी सवाल उठाये हैं और नियुक्ति की धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप लगाया है। उनके मुताबिक स्थानान्तरण होने के बाद बीएसए राकेश कुमार के स्तर से बैकडेटिंग कराई गई। बेसिक शिक्षा अधिकारी मनोज मिश्र से इस सम्बंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रकरण संज्ञान में आते ही उन्होंने डिस्पैच रजिस्टर समेत अन्य सम्बंधित अभिलेख सीज करवा दिये हैं। प्रथम दृष्टया ही मामला जालसाली का लग रहा है। उन्होंने मामले की जांच डिप्टी बीएसए देवशंकर त्रिपाठी को सौंपी है।

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