फैजाबाद, 12 दिसम्बर : रुदौली विकासखण्ड में नरेगा के तहत आये लाखों रुपये का गोलमाल कर दिया गया। काम के बदले अनाज योजना, बारहवां वित्त आयोग व राज्य वित्त आयोग के तहत आई लाखों की धनराशि के भुगतान को भी संदिग्ध ठहराया गया है। इन योजनाओं के तहत आये लाखों रुपये के व्यय को सही ठहराने के लिए ब्लाक पर कोई प्रमाण नहीं मिल सका है। यह खुलासा जिला लेखा परीक्षा अधिकारी के ज्येष्ठ लेखा परीक्षक की रिपोर्ट में हुआ है। आडिट टीम ने अगस्त 2006 में चल रही काम के बदले अनाज योजना, बारहवां वित्त व राज्य वित्त आयोग में आई धनराशि के उपयोग पर भी गंभीर आपत्तियां जताई हैं।
विकासखण्ड स्तर पर की जा रही आडिट में कई गड़बडि़यां पाई गई हैं। ज्येष्ठ लेखा परीक्षक राजेन्द्र प्रसाद यादव की रिपोर्ट के मुताबिक नरेगा योजना के तहत विभिन्न कार्यो पर दिखाये गये व्यय का कोई भी प्रमाणक पेश नहीं किया गया। अगस्त 2006 से सितम्बर 2006 तक काम के बदले अनाज योजना के तहत किया गया 14 लाख 69 हजार रुपये का भुगतान भी संदिग्ध माना गया है। इस व्यय को सही साबित करने के लिए व्यय प्रमाणक, एमवी प्रमाणपत्र, खाद्यान्न योजना के कूपन, रजिस्टर कूपन भी ब्लाक के कर्मचारी नहीं दिखा सके। आडिट टीम ने इस पर गंभीर आपत्ति दर्ज की। बारहवां वित्त आयोग के नौ लाख रुपये व राज्य वित्त आयोग के तहत खर्च किये गये 29 लाख रुपये का हिसाब भी ब्लाक पर नहीं मिल सका। यह धनराशि कहां व्यय की गई इसका ब्यौरा देने में ब्लाक के कर्मचारी आनाकानी करते रहे और अंत तक ब्यौरा उपलब्ध नहीं करा सके। आडिट टीम ने ग्रांट रजिस्टर में धनराशि खारिज करने के बाद कैश रजिस्टर में इंट्री न करने, व्ययों का साक्ष्य न रखने और भुगतान की संदिग्धता की बाबत सवाल खड़े किये हैं। गौरतलब हो कि रुदौली विकासखण्ड के इससे पूर्व 2005 तक के आय-व्यय के आडिट के दौरान आडिट टीम ने 17 गंभीर आपत्तियां दर्ज की थीं जिनमें से एक का भी निस्तारण आज तक नहीं हो सका है।